“एक सन्नाटा सा रहता है
जाने ये दिल क्यों घबराता रहता है
इस दिल ने शायद किसी को बेहद प्यार किया
ओर उस ने इस दिल को फिर तोड़ दिया
अब ये दिल मुस्कुराता कम है
इस दिल को गहरा गम है
कुछ अजीब सा रिश्ता था उससे
सपने थे सिर्फ़ उसी के दिखते
अब हाल कुछ ऐसा है
ना नींद आती है
ओर ना ही सपने दिखते हैं
एक सन्नाटा सा रहता है
जाने ये दिल क्यों घबराता रहता है
कुछ ख़ालीपन है
कुछ हम गुम हैं
शायद अब ये ही ज़िंदगी है
जो सिर्फ़ इतना ही कहती है
की ऐ दिल तूने जिसे प्यार किया
वो प्यार का हक़दार नहीं था
ओर अब तूजे प्यार पर विश्वास नहीं रहा
तबी तो ये सन्नाटा रहता है
ओर दिल घबराता रहता है
चला है ये दिल अपनी रूह को लेकर
एक ऐसी जगह जहाँ कोई ना होगा
ना ग़म होगा
ना ख़ुशी होगी
बस एक अनुभव होगा
ओर फिर से सन्नाटा होगा।”
Achhi poyetri
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