“आपने ज़रूरत ना समझी हमें मनाने की,
ओर सुनी सिर्फ़ ज़माने की,
क्या हमारे प्यार में कुछ कमी रही?
जो आपने हमारी लाख कही ना सुनी?
हमने प्यार बहुत है किया,
अपने आप को हमने सिर्फ़ आपको सौंप दिया,
हमारे अपने हमने पराए कर दिए,
ओर हमें सिर्फ़ दिखायी आप दिए,
क्या हमारी ये ग़लती थी?
की हमारी सुबाह भी आपसे शुरू होती थी,
ओर रात भी आप पर ख़त्म होती थी,
हम रातों को जगे रहे,
और आपकी राह तकते रहे,
आप अपने ही ख़यालों में गुम थे,
ओर हम अपने गम में गुमसम थे,
अब आशाएँ ख़त्म सी होने लगीं हैं,
ज़िंदगी बड़ी ख़ाली सी लगने लगी है,
लगता है कि कहीं दूर चले जाएँ हम,
जहाँ ना हो हँसी और ना ही गम,
हम ऐसे ना रह पाएँगे,
बेहद बिखर से जाएँगे,
हो सके तो हमें रोक लेना,
बाक़ी,
सफ़र तो हम शुरू कर ही चुके हैं,
मंज़िल ओर रास्ते बिलकुल नए हैं,
शायद जब तक आपको इसका इल्म होगा,
बेहद गम तो होगा,
पर तब तक बहुत देर हो चुकी होगी,
ज़िंदगी हमें आपसे बहुत दूर ले जा चुकी होगी,
मिलेंगे शायद कहीं राह में,
तो अजनबी से मत दिखना,
बस थोड़ा सा मुस्कुरा देना,
क्योंकी आपकी मुस्कुराहट पर ही हम कभी मर मिटे थे,
वो दिन भी क्या दिन थे,
प्यार बहुत है हमने आपको किया,
हर दिन के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।”